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in Class 12 by kratos

ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :

यह मिटता है, वह बनता है,
यही सत्य की सही तोल है,
अर्पण कर सर्वस्व मनुज को,
कर न दुष्ट को आत्मसमर्पण,
कुछ भी बन बस कायर मत बन।

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by kratos
 
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प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के आधुनिक कविता ‘कायर मत बन’ से लिया गया है जिसके रचयिता नरेन्द्र शर्मा हैं।

संदर्भ : प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को कायर न बनने का संदेश दिया है। कवि मानवता को अत्यधिक महत्त्व देते हुए दुष्टों के सामने हार नहीं मानने के लिए कहते हैं।

स्पष्टीकरण : कवि कहते हैं कि जब दुश्मन युद्ध के लिए ललकारे तब उसका वीरता से सामना करना चाहिए। कायरता सबसे बड़ी अपवित्र चीज है। इसलिए धैर्य और वीरता के साथ दुष्टों को पराजित करना चाहिए। तुम मानवता की रक्षा के लिए अपने को मिटा दो। तुम्हारा जीवन कीमती है लेकिन मानवता की रक्षा ज्यादा जरूरी है। मानवता अनमोल है। यही सत्य है। इसलिए दुष्ट के सामने आत्म समर्पण नहीं करके अपना तन-मन-धन मनुष्यता के लिए अर्पित कर दो। स्वयं को मानवता की रक्षा के लिए बलिदान भी होना पड़े तब बलिदान भी देना चाहिए। यही सत्य है। अगर दुष्टों का राज हो गया तो संपूर्ण मानवता खतरे में पड़ जाएगी।

विशेष : भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली के साथ-साथ ओजपूर्ण है।

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