‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता में कुँवर नारायण जी वृक्षों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए वृक्षों के महत्व को समझाते हैं। वृक्ष धूप में, बारिश में, गर्मी में, सर्दी में हमेशा चौकन्ना रह कर चौकीदार के समान मानव की रक्षा करता है। वृक्ष मानव का दोस्त है। थके-माँदे मानव को वृक्ष शान्ति एवं ठंडक पहुँचाता है। वृक्षों की संख्या घट गयी तो बारिश नहीं होगी। जंगल मरुभूमि बन कर निर्जन हो जाएगा। इसलिए पेड़ों की रक्षा कर मानव को बचाना है।