प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘एक वृक्ष की हत्या’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता कुँवर नारायण हैं। अपने घर के दरवाजे पर तैनात वृक्ष के कट जाने पर कवि उसकी यादों में खो जाते हैं।
भाव स्पष्टीकरण : कवि वृक्ष को चौकीदार की संज्ञा देते हैं। हर मौसम में जैसे धूप में, बारिश में, गर्मी में, सर्दी में हमेशा वह पेड़ चौकन्ना होकर खाकी वर्दी धारण कर हमारी रक्षा करता रहता था। कवि और वृक्ष में दोस्ती हो गई थी। वे वृक्षों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। यदि वृक्षों के महत्व को हम नहीं समझेंगे और वृक्षों को इसी तरह काटते रहेंगे तो आगे आनेवाले दिनों में बहुत ही संकट झेलने पड़ेंगे।