+3 votes
in Class 12 by kratos

एक वृक्ष की हत्या कविता का भावार्थ :

1 Answer

+5 votes
by kratos
 
Best answer

प्रस्तुत कविता में कुँवर नारायण ने वृक्षों के प्रति अपनी संवेदना जताई है। कवि वृक्ष को दोस्त के रूप में देखते हैं। मानवीय भावनाओं को यहाँ देखा जा सकता है।

1) अबकी घर लौटा तो देखा वह नहीं था….
वही बूढ़ा चौकीदार वृक्ष
जो हमेशा मिलता था घर के दरवाजे पर तैनात।
पुराने चमड़े का बना उसका शरीर
वही सख्त जान
झुर्रियोंदार खुरदुरा तना मैलाकुचैला,
राइफिल-सी एक सूखी डाल,
एक पगड़ी फूल पत्तीदार,

पाँवों में फटापुराना जूता
चरमराता लेकिन अक्खड़ बल बूता।

कवि कहता हैं कि अब की बार जब वह घर लौटा, तो वह बूढ़ा चौकीदार वृक्ष, जो हमेशा घर के दरवाजे पर मिलता था वह नहीं था। पुराने चमड़े का बना हुआ उसका शरीर, वही कठोर जान, झुर्रियों वाला खुरदरा तना मैला-कुचैला, राइफिल की तरह उसकी सूखी डाल, एक फूल-पत्तीदार वाली पगड़ी, पाँवों में फटा-पुराना जूता चरमराता, परन्तु अक्खड़ बल-बूते वाला। कहाँ गया वह वृक्ष?

2) धूप में, बारिश में,
गर्मी में, सर्दी में,
हमेशा चौकन्ना
अपनी ख़ाकी वर्दी में।
दूर से ही ललकारता, ‘कौन?’
मैं जवाब देता, ‘दोस्त!’
और पल भर को बैठ जाता
उसकी ठंडी छाँव में।
दरअसल शुरू से ही था हमारे अंदेशों में
कहीं एक जानी दुश्मन

धूप में, वर्षा में, सर्दी-गर्मी में हमेशा चौकन्ना रहकर अपनी खाकी वर्दी में दूर से ही ललकारता था – ‘कौन?’ कवि जवाब देता – ‘दोस्त!’ और कुछ क्षण उसकी छाया में बैठ जाता। वास्तव में कवि को संदेह था कि कोई जानी दुश्मन आ गया होगा! इन दुश्मनों से बचाना है।

3) कि घर को बचाना है लुटेरों से
शहर को बचाना है नादिरों से
देश को बचाना है, देश के दुश्मनों से।
बचाना है-
नदियों को नाला हो जाने से
हवा को धुंआ हो जाने से
खाने को जहर हो जाने सेः
बचाना है- जंगल को, मरुथल हो जाने से,
बचाना है- मनुष्य को, जंगल हो जाने से।

घर को लुटेरों से, शहर को नादिरों से, देश को दुश्मनों से बचाना है। नदियों को नालों से, हवा को धुंए से, खाने को जहर से, जंगल को मरुस्थल से और मनुष्य को जंगल हो जाने से बचाना है।

...