प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भारत की धरती’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ हैं।
संदर्भ : प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत की गौरवशाली संस्कृति का यशोगान किया है।
भाव स्पष्टीकरण : कवि उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक, साहित्यिक विशेषताओं का बखान करते हुए कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में हमारे सांस्कृतिक, धार्मिक महत्त्व के केंद्र, काशी, प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार स्थित है। वहीं यह साहित्य मनीषियों से भी उर्वर रही है। यहाँ मलिक मुहम्मद जायसी’, कबीर एवं तुलसी दास हुए हैं। भक्ति आंदोलन के यह श्रेष्ठ रचनाकार है जिनके पद आज भी घर घर में गाए जाते हैं। यह धरती बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे तीर्थों का स्थान है। कृष्ण की नगरी मथुरा भी इसी प्रांत में स्थित है। मथुरा का नाम सुनते ही मनभावन कृष्ण कन्हैया की छवि मस्तिष्क में तैर जाती है। कृष्ण की बाललीलाओं का क्रीडास्थल यही उत्तर प्रदेश की धरती है।
विशेष : खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग। भारत-महिमा का वर्णन किया गया है।