1) भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
राम-कृष्ण की जन्मभूमि, मन में मुद-मंगल भरती है।
उत्तर में उत्तर प्रदेश, काशी, प्रयाग, हरिद्वार जहाँ।
मलिक मुहम्मद के, कबीर के, तुलसी के उद्गार जहाँ।
बद्रीनाथ, केदारनाथ-से, तीर्थों का यह स्थल पावन
माखन भोग लगाने वाला, कृष्ण कन्हैया मनभावन॥
यही भूमि रावण-कंसों के दर्प-दलन भी करती है….
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
भारत की यह धरती वीरों, संतों, राम-कृष्ण की जन्मभूमि है और मन को आनंदित करती है। उत्तर प्रदेश में काशी, प्रयाग, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे पुण्यक्षेत्र हैं तो वहाँ मलिक मुहम्मद, कबीर, तुलसी के उद्गार भी हुए। कृष्ण की क्रीडास्थली यही है। वीरों व संतों की धरती भी यही है।
2) मस्तक ऊँचा किए हिमालय, जिसके बल पर खड़ा हुआ।
यह पंजाब केसरी है, अपने ही बल पर अड़ा हुआ॥
रण में तेग बहादुर जिसका बच्चा-बच्चा वीर है।
भजनभाव में गुरु नानक की वाणी जैसा धीर है॥
जिस धरती की गर्जन से, जगती की गर्जन डरती है…
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
भारत के मस्तक पर हिमालय खड़ा है, पंजाब केसरी, तेग बहादुर, गुरु नानक आदि की अमरवाणी यहीं सुनी गई। जिस धरती की गर्जना से जगत की गर्जना डरती है, उन वीर संतों की यह धरती है।
3) वेद और उपनिषद् ज्ञान गीता का तत्व प्रदाता है।
सरस्वती सरिता तट वैदिक मन्त्रों का उद्गाता है।
हरित-भरित हरियाणा, अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर का स्थल है।
धर्म-कर्म-संस्कृति-सभ्यता, बल-पौरुष का सम्बल है।
इन्द्रप्रस्थ के सम्मुख इन्द्रपुरी भी पानी भरती है
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
वेद, उपनिषद, गीता का ज्ञान देनेवाला हरित-भरित हरियाणा, सरस्वती नदी के किनारे वैदिक मंत्रों का उद्गाता, अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर, धर्म-कर्म, बल-पौरुष की धरती, इन्द्रप्रस्थ की यह पावन धरती देखते ही बनती है।
4) राजस्थान चलो तो सुन लो, राणा की हुंकार यहाँ।
हल्दी घाटी की चट्टानों पर खनकी तलवार जहाँ,
स्वाभिमान से ऊँचे मस्तक, झुके नहीं, कट सकते हैं।
युद्धक्षेत्र में, गोरा बादल, कट कर भी डट सकते हैं।
जहाँ वीरता, ‘सेनाणी’ ‘जौहर’ की कीर्ति निखरती है…
भारतमाता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
राजस्थान में राणा की हुंकार, हल्दीघाटी का युद्ध, गोरा बादल, सेनाणी, जौहर की की पताका फहराने वाले राजस्थान की धरती है।
5) यह बिहार की भूमि, जहाँ पितरों का तर्पण होता है।
जे-पी-के इंगित से दस्यु-आत्म-समर्पण होता है।
विश्वगुरु कहलाने वाले, नालन्दा-वैशाली हैं।
गौतम, महावीर ने अपनी परम्पराएँ पाली हैं।
शान्त-क्रान्त दृष्टा प्रदेश, नूतनता नित्य उभरती है…
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
यह बिहार की भूमि, जहाँ पितरों का तर्पण होता है, जे.पी. के सम्मुख डाकुओं का समर्पण, नालन्दा-वैशाली, गौतम-महावीर की परंपरा पाली हैं।
6) दक्षिण चरण पखारे रत्नाकर रत्नों की खान है।
तमिलनाडु में कम्ब दे रहा रामायण का ज्ञान है।
केरल, आन्ध्रप्रदेश, सभ्यता, संस्कृति, धर्म विधायक हैं।
महाराष्ट्र मरहठे शिवाजी के कृत्यों के गायक हैं।
कर्नाटक की मलयज शीतल मन्द सुगन्ध विचरती है।
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
दक्षिण में सागर भारतमाता के चरणों को धोता, तमिलनाडु में कम्ब रामायण, केरल, आन्ध्र की सभ्यता निराली, महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की शौर्यगाथा, कर्नाटक में मलयागिरी की शीतल, मंद, सुगंधित वायु विचरण करती है।
6) दक्षिण चरण पखारे रत्नाकर रत्नों की खान है।
तमिलनाडु में कम्ब दे रहा रामायण का ज्ञान है।
केरल, आन्ध्रप्रदेश, सभ्यता, संस्कृति, धर्म विधायक हैं।
महाराष्ट्र मरहठे शिवाजी के कृत्यों के गायक हैं।
कर्नाटक की मलयज शीतल मन्द सुगन्ध विचरती है।
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
दक्षिण में सागर भारतमाता के चरणों को धोता, तमिलनाडु में कम्ब रामायण, केरल, आन्ध्र की सभ्यता निराली, महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की शौर्यगाथा, कर्नाटक में मलयागिरी की शीतल, मंद, सुगंधित वायु विचरण करती है।
8) परम पुनीत नीर कावेरी, मस्तक धर कर्नाटक में।
पम्प महकवि के दर्शन, कर लो चलकर कर्नाटक में॥
बसवेश्वर या अक्कमहादेवी कर्नाटक में गाते।
रामानुज आचार्य ‘मेलकोटे’ में दर्शन दे जाते॥
धर्म-कर्म साहित्य-कला, संस्कृति का यह अनुवरती है…
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
पावन कावेरी की जलधारा, पम्प महाकवि के दर्शन, बसवेश्वर- अक्कमहादेवी के वचन, रामानुजाचार्य जी का ‘मेलकोटे’ का दर्शन, धर्म-संस्कृति, कला-संगीत कि यह कर्नाटक भूमि, भारतमाता की यह धरती, वीरों व सन्तों की धरती है।