बेला अपने मायके इसलिए जाना चाहती थी क्योंकि उसे ऐसा लगता था कि जैसे वह अपरिचितों में आ गयी है। कोई उसे नहीं समझता और वह किसी को नहीं समझती। जब वह जाती है तो बड़ी भाभी, मँझली और माँजी तक खड़ी हो जाती थीं। उसके सामने कोई हँसता नहीं। उससे अधिक समय तक कोई बात नहीं करना चाहता। सब उससे ऐसा डरती है जैसे मुर्गी के बच्चे बाज से। बेला अपने मायके जाना चाहती थी कि वह आदर, सत्कार, सुख, आराम चाहती थी।