१. आभा
‘आभा’ भारवि की सेविका है। जब सुशीला ने उससे पूछा कि आभा, भारवि नहीं आया? तो आभा ने कहा – अब तक कवि नहीं आये? मैं तो समझती थी कि वह इस समय तक आ गये होंगे। मैं अभी जाती हूँ, उन्हें खोजकर लाती हूँ। आप भोजन कर लीजिए। मुझे क्षमा करें। एक निवेदन और है – महाकवि से परिचित एक युवती प्रवेश चाहती है। वह स्वामी के दर्शन की अभिलाषा रखती है। ‘आभा’ सच्ची सेविका है।
२. भारती
भारती एक विदुषी है। भारती के हृदय में महाकवि भारवि के प्रति श्रद्धा की भावना है। वह सुशीला से कहती है कि वसंत ऋतु में कोकिल के स्वर से कौन परिचित नहीं? गत पूर्णिमा के पर्व में उन्होंने जो शास्त्रार्थ किया, वह बहुत महत्व का है। आज तक वेदान्त की इतनी सुन्दर मीमांसा मैंने नहीं सुनी, जैसी महाकवि भारवि के मुख से सुनी। वीणापाणि को भी ‘भारती’ ही कहते हैं। वे उस भारती की उपासना कर रहे थे। भारती सुशीला तथा श्रीधर का सम्मान करती है।