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in Class 12 by kratos

रेलवे स्टेशन का एक दृश्य पर निबंध लिखिए :

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by kratos
 
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अधिकांश शहरों के रेलवे स्टेशनों का दृश्य किसी मेले जैसा भीड़ – भाड़ युक्त, आकर्षक, कौतूहल से भरपूर शोर – गुल वाला होता है। रेलवे स्टेशन वह स्थल है, जहाँ विभिन्न स्थानों से आने – जाने वाली रेलगाड़ियों का संगम होता है। यह रेल द्वारा यात्रा करनेवालों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।

रेलवे स्टेशन का बाहरी प्रांगण बहुत कोलाहल पूर्ण होता है। स्टेशन के बाहर कार, स्कूटर, तांगे, साइकिल, रिक्शा, टैक्सी तथा बसों का आवागमन लगा रहता है। इनके खड़े होने के लिए भिन्न – भिन्न स्टैंड बने होते हैं। जैसे ही वाहन आते हैं, वैसे ही कुली यात्रियों को घेर लेते हैं। यहाँ पर यातायात पुलिस का नियंत्रण कक्ष होता है। स्टेशन के मुख्य भवन के बाईं या दाईं ओर प्रथम तथा द्वितीय श्रेणी के कई टिकट घर होते हैं। यहाँ आरक्षण की भी व्यवस्था होती है। इन्हीं टिकट घरों से प्लेटफॉर्म टिकट भी मिलता है। मुख्य प्रवेश द्वार के समीप पूछताछ कार्यालय होता है। यहाँ से ट्रेनों के आने – जाने का समय, प्लेटफॉर्म नंबर आदि की जानकारी होती है।

प्रवेश प्रांगण का दृश्य अपेक्षाकृत शांत होता है। वहाँ सैंकड़ों व्यक्ति टिकट लेने के लिए पंक्तिबद्ध होकर खड़े रहते हैं। जिन यात्रियों की गाड़ी देर से आनी होती है. वे चादर आदि बिछाकर बैठे या लेटे होते हैं। वहाँ का दृश्य विविधतापूर्ण होता है। कोई बच्चों के साथ भोजन कर रहा है, तो कोई आपस में गप लड़ा रहा है। प्रवेश प्रांगण में कहीं सामान की बुकिंग हो रही है, तो कहीं डाक के थैलों को गाड़ी में चढ़ाने की तैयारी हो रही है। प्रवेश द्वार पर टिकट कलेक्टर फुर्ती से टिकट लेने में व्यस्त रहते हैं।

जहाँ रेलगाड़ियाँ आकर रुकती हैं, उसे ‘प्लेटफॉर्म’ कहते हैं। प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए कई द्वार होते हैं। प्लेटफॉर्म पर वही व्यक्ति आ – जा सकता है, जिसके पास प्लेटफॉर्म टिकट या यात्रा टिकट होता है। रेलवे स्टेशन के अंदर अनेक प्लेटफॉर्म होते हैं। एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए ओवरब्रिज बने होते हैं। लगभग सभी प्लेटफॉर्मों पर बहुत भीड़ होती है। सूचना प्रसारण की ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। यह सूचना प्लेटफार्म पर खड़े सभी लोग भली – भांति सुन सकते हैं। वहाँ यात्रियों की सुविधा के लिए पानी के प्याऊ भी होते हैं। जब गाड़ी आती है, तो यात्री उसमें बैठने के लिए तैयार होने लगते हैं। ऐसे में प्लेटफॉर्म पर अजीब सी हलचल दिखाई पड़ती है। उतरने वाले यात्री कुली या अपने सगे – संबंधी को पुकारते – तलाशने लगते हैं। लोग अपने मित्रों तथा सगे – संबंधियों को लेकर वापस चले जाते हैं।

रेलवे स्टेशन की पटरी की जांच – परख करके उसे साफ – सुथरा रखा जाता है। कभी – कभी लोग रेलवे पटरी से ही प्लेटफॉर्म पार करते देखे जाते हैं, जो अत्यंत घातक कार्य होता है। क्योंकि पटरियों पर कभी भी रेलगाड़ियाँ आ – जा सकती हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की दुर्घटना हो सकती है।

रेलवे स्टेशन पर भारत के प्रत्येक प्रदेश के लोग अपनी – अपनी वेशभूषा में अपनी प्रांतीय भाषा बोलते हुए दिखाई देते हैं। ऐसा प्रतीत होता है, जैसे वहाँ समूचा भारत एकत्रित हो गया हो। प्लेटफॉर्म एक सजा हुआ भीड़ – भाड़ वाला बाजार दिखता है। कहीं खाने – पीने की वस्तुओं के स्टाल एवं ठेले दिखाई देते हैं, तो कहीं खेल – खिलौनों तथा किताबों आदि की रेहड़ियां दिखाई देती हैं। प्रत्येक प्लेटफॉर्म पर चाय – कॉफी वाले अनेक होटल होते हैं। गाड़ी से उतरकर जाने वाले यात्रियों में बहुत हड़बड़ाहट होती है।

इस प्रकार प्रत्येक रेलवे स्टेशन एक ऐसा मंच लगता है, जहाँ ऊंच – नीच, जात – पांत, प्रांतीयता एवं भाषावाद का कोई स्थान नहीं होता। वह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। रेलवे स्टेशन सभी प्रकार की सुविधाओं से सुसज्जित होते हैं।

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