निम्नलिखित अनुच्छेद पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
धर्म को लोगों ने धोखे की दुकान बना रखा है। वे उसकी आड़ में स्वार्थ सिद्ध करते हैं। बात यह है कि लोग धर्म को छोड़कर सम्प्रदाय के जाल में फँस रहे हैं। सम्प्रदाय बाह्य कृत्यों पर जोर देते हैं। वे चिन्हों को अपनाकर धर्म के सार-तत्व को छोड़ देते हैं। धर्म मनुष्य को अंतर्मुखी बनाता है। उसके हृदय किवाड़ों को खोलता है, उसी आत्मा को विशाल, मन को उदार तथा चरित्र को उन्नत बनाता है। सम्प्रदाय संकीर्णता सिखाते हैं, जात-पांत, रूप-रंग तथा ऊँच-नीच के भेद भावों से ऊपर नहीं उठने देते।
i) धर्म को लोगों ने किसकी दुकान बना रखी है?
ii) लोग धर्म को छोड़कर किसके जाल में फंस रहे हैं?
iii) लोग किनको अपनाकर धर्म के सार तत्व को छोड़ देते हैं?
iv) धर्म मनुष्य को क्या बनाता है?
v) सम्प्रदाय क्या सिखाता है?