दोहे का भावार्थ आपने श्ब्दों में लिखिए तुलसी साथी विपत्ति के विद्या, विनय विवेका साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसो एक॥ भावार्थ :
प्रस्तुत दोहे के द्वारा तुलसीदास ने स्पष्टथा ; बताया है कि दया धर्म का मूल है और अभिमान पाप का। इसलिए कवि कहते है कि जब तक शरीर में प्राण है, तब तक मानव को अपना अभिमान छोडकर दयालू बने रहन चाहिए।