भावार्थ लिखिए:
एक हाथ में न्याय-पताका, ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में, जग का रूप बदल दे, हे माँ, कोटि-कोटि हम आज साथ में । पूँज उठे जय-हिन्द नाद से सकल नगर और ग्राम, मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम।
भारत माँ के एक हाथ में न्याय पताका | है तो दूसरे हाथ में ज्ञान की दीप या ज्योति है। कवि जग का रूप बदलने के लिए भारत माँ से कह रहा भारत माँ के साथ आज हम कोटि-कोटि भारतवासी हैं। जय-हिन्द का नाद सकल नगर और ग्राम में गूंज उठा है । इस प्रकार कवि मातृभूमि को शत-शत ६ प्रणाम करता है।