सब ने कहा कि कौए की चोंच का घाव लगने के बाद वह बच नहीं सकता, अतः ऐसे ही रहने दिया जावे। लेखिका का मन न माना तो उसे हौले से उठा कर अपने कमरे में लायी फिर रुई से रक्त पोंछकर घावों पर पेन्सिलिन का मरहम लगाया। कई घंटे के उपचार के बाद उसके मुँह में एक बूंद पानी टपकाया जा सकेगा। इस प्रकार लेखिका ने गिल्लू के प्राण बचाये।