भावार्थ लिखिए:
यह मनुज, जो सृष्टि का श्रृंगार, ज्ञान का , विज्ञान का, आलोक का आगर । व्योम से पाताल तक सब कुछ इसे है ज्ञेय, पर, न यह परिचय मनुज का,
यह न उसका श्रेय ।
यह मनुष्य सृष्टि का श्रृंगार है। मनुष्य आज प्रकृति पर विजय पाया है। आज यह मनुष्य ज्ञान और विज्ञान आगार है। अपने ज्ञान से सबको अपने अधीन कर लिया है। नये नये अविष्कारों से मनुष्य आज आकाश तथा भूमि पर अधिकार पाया है। वह प्रकाश का आगार है। आकाश और पाताल के सभी रहस्य मनुष्य को मालूम है। आज मनुष्य को आकाश से लेकर पाताल तक सबकुछ मालूम है। सभी का ज्ञान प्राप्त है। पर मनुष्य को आज दूसरे मनुष्य से स्नेह नहीं है इसलिए यह उसकी कीर्ति नहीं है।