जैनुलाबदीन नमाज के बारे में क्या कहते थे?
जैनुलाबदीन नमाज के बारे में कहते थे, जब तुम नमाज पढ़ते हो तो तुम अपने शरीर में इतर ब्रह्मांड का एक हिस्सा बन जाते हो, जिसमें दौलत, आयु, जाति या धर्म-पंथ का कोई भेदभाव नहीं होता।