बसंत बाजार में छलनी, बटन और दियासलाई बेच रहा था। सुबह कौई व्यापर नहीं हुआ था। तभी राजकिशोर जो मजदूरों का नेता है वह बाजार में आता है। बसंत ने उससे छलनी, देसी बटन या दियासलाई लेने के लिए कहता है। पर राजकिशोर को कुछ भी नहीं चाहिए था। पर बसंत ने उनसे छलनी | लेने के लिए कहता है।
तो राजकिशोर बसंत से छलनी लेता है तो उनके पास पैसे नहीं होते बल्कि एक रुपये का नोट होता है। तब बसंत ने नोट को भुनाने के लिए बाजार जाता है। वापस आते समय मोटर के नीचे आ जाता है। उसके दोनों पैर कुचले जाते हैं। वह बेहोश पड जाता है। होश आने पर उसने अपने भाई से राजकिशोर के पैसे लौटाने के लिए भेजता है। उसका भाई प्रताप राजकिशोर पैसे लौटाने के लिए उसके घर जाता है। इस प्रकार बसंत एक ईमानदार लडका है।