‘सत्य’ क्या होता है? उसका रूप कैसे होता है?
सत्य बहुत भोला-भाला सीधा-सादा, जो कुछ भी आँखों से देखा बिना नमक मिर्च लगाये बौल दिया। यही तो सत्य है। सत्य दृष्टि का प्रतिबिम्ब है, ज्ञान की प्रतिलिपी है और आत्मा की वाणी है।