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in Class 9 by kratos

जय-जय भारत माता कविता का सारांश लिखें।

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by kratos
 
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जय-जय भारत माता कविता का सारांश:

कवि कहता है कि भारतमाता की जय हो। तुम्हारा हृदय हिमालय जैसा विशाल है। उसमें बहुत स्नेह भरा है। तुम अपने दिल में अपनी दुःख की आग छिपाकर हमें सुखी रखती हो। यहाँ पर नदियों की धाराएँ बहकर पानी फूट आता है।

भारतमाता, तेरे पानी में कमल सदा खिले और इस धरती पर आम का फल है। तेरी हल्की हरियाली, आँचल में कितने ही सुन्दर, मधुर भावनायें पले हैं।तेरी इस धरती में हमेशा लोग भाई-भाई की तरह मिले रहे। उनमें हमेशा एकता की भावना रहे। कभी यह भाई का नाता टूट न जाय।

भारतमाता, तेरी लाल दिशा में हमेशा चंद्र-सूर्य अमर रहे। तेरे पवित्र आँगन में यानी भारत में हमेशा लोगों के मन के अज्ञान का अंधकार हटकर सबको ज्ञान की ज्योति मिले। हम सब मिलजुलकर तेरी यश या कीर्ति की गाथा गाते रहे। हमेशा तेरी जय हो। इस प्रकार कवि मैथिलीशरण गुप्त अपनी सुन्दर काव्य शैली में भारतमाता की कीर्ति और महत्व को बताया है।

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