कविता कवि परशुराम शुक्ल कवि इन पंक्तियों में कहना चाहते है कि मानव जीवन के मित्र हां ध्वनि, मिट्टी और जलवायु। इनकी रक्षा हम को करनी है। अगर ये प्रदूषणरहित रहेंगे तो हमारा जीवन सुंदर और तंदुरुस्त बनेगा। हमारे आसपास ध्वनिप्रदूषण भी बहुत ज्यादा हो रहा है। आज हम देख रहे है कि मिट्टी में रासायनिक तत्वों का प्रमाण अधिक होने की वजह से हमें पौष्टिक खाध्य नही मिल पा रहा। इसे हमें रोकना होगा। अब यही हमारा प्रथम कर्तव्य है।