भीम और राक्षस पाठ का सारांश :
पहला दृश्य
गरीब ब्राह्मण का घर है। ब्राह्मण की पत्नी और उनकी एक बेटी और एक बच्चा था। एक चक्र नगरी में रहते थे। वहाँ बकासुर नाम का एक राक्षस भी रहता था। उस नगरी का राजा बहुत दुर्बल था। वह सिर्फ नदी पर बैठना चाहता था। उस राजा को तबाकर बकासुर असली राजा बनकर बैठा था। बकासुर उस नगर के लोगों की रक्षा करता था और उसके बदले में उनसे रोज एक गाडी अन्न, दो भैंसे और एक मनुष्य को खाने के लिए लेता था। उस नगर के सब लोगों ने मिलकर बारी बाँध ली थी। जब जिसकी बारी आती है, तब वही यह सब समान भेजता था।
लोग अपनी अपनी बारी भुगतते थे। नहीं तो वह राक्षस हजारों मनुष्यों को एक साथ खा जाता था। पिछले चालीस सालों से यह होता आ रहा था। उस नगर में आदमी भी बिकते थे। जिसके पास धन हो तो वह आदमी को खरीदकर भेज देता था। वहाँ के आदमियों में आपस में प्यार और एकता नहीं थी। इसीलिए वे राक्षस के अधीन हो गये थे। आज उस ब्राह्मण की बारी थी। तो वे चिंता करने लगे थे। उन्हें एक बेटी और एक बच्चा था। उस ब्राह्मण की पत्नी अपनी गोद में बच्चे को लिए बैठी रो रही थी। उसका पति भी रो रहा था। ब्राह्मणी पति से कह रही थी कि – वह राक्षस के पास जायेगी पर पति कहता है कि वह स्वयं राक्षस के पास जायेगा। उनकी बेटी कहती है किं – न माँ जायेगी, न बाप जायेगा, पर वह स्वयं काने के लिए तैयार होती है।
कुंती और भीम दोनों उस ब्राह्मण के अतिथिः थे। ब्राह्मण परिवार का रोना सुनकर कुती और भीम उसका कारण पूछते हैं तो ब्राह्मण और उसकी पत्नी बोलते है कि अब उनकी बारी आयी है जो राक्षस के लिए बलि होना था। तब कुंती उन्हें मत रोने के लिए कहती है और भीम भी उन्हें धीरज बँधा है। ब्राह्मण परिवार में से वह किसी को जाने नहीं देती। कुंती के पाँच बेटे थे। उनमें से भीम को राक्षस के पास भेजने के लिए कुंती तैयार हो जाती है। ब्राह्मण और उसकी पत्नी इसे विरोध करने पर भी कुंती उन्हें शांति से रहने के लिए कहती है और स्वयं भीम भी जाने के लिए तैयार होता है।
जंगल में बकासुर का मकान था। वहाँ भीम मस्ती में इधर-उधर घूम वा रहा है। भीम शोर । मचा रहा था। तो बकासुर मकान से बाहर झाँकता है। | भीम को बकासुर भैंस जैसा लगता है। बकासुर भीम को घूम देता है। कुश्ती लड़ने के लिए भीम बकासुर को चुनौती देता है। भीम बकासुर के गले को पकता है। बकासुर चीखता है भीम
अट्टहास करता है। बकासुर की आँखें फट जाती हैं। बकासुर को भीम ने धरती पर पटकता है। भयंकर चीख के साथः राक्षस मर जाता है। चोर से शोर उठता है। राक्षस लोग दौडकर आते है और भीम को देखकर काँपते हैं।भीम बकासुर के सिपाहियों को खबरदार कहता है। बकासुर की लाश को लेकर भागने के लिए कहता है। और आदमियों को मत खाने के लिए कहता है। वे लाश उठाकर ले जाते हैं। यहाँ पर सत्य की जीत और असत्य की हार प्रकटित होती है।