चलना हमारा काम है कविता का सारांशा :
कवि कहते है कि अगर मेरे पैरों में गति प्रबल (ताकतवर) है, तो मैं किसकारण रास्ते में खड्य रहूँ। मेरे सामने बहुत बड़ा मार्ग (रास्ला) है, मन में मंजिल पाने की चाह है। जब तक मैं अपना लक्ष्य नमः पाऊँ तब तक मैं कही भी. स्कनेवाला नहीं। मुझे मेस लक्ष्य किसी भी हाल में पास है। लेकिन बीच रास्ते में बहुत रकावटे हैं, कठिन्सइयाँ है। हर कदम पर मुश्कीलें है। इन सबको पार करना ही होगा। मुझे निराशा किस बात की, क्योंकि यही हमारा जीवन है और हमें चलना ही होगा। चलते चलते मेरे साथ बहुत साथी जुड़ गए। कुछ बीच रास्ते में से फिर गए तो कुछ लोगो ने जीवन से हार मान ली। गिरकर उठना बहुत बडी बात है। जो गिरकर पुनः उठकर चले सफलता उनसे कदम चूमेगी। टार मान्कर मत रकको चलते रहना ही हमारा काम | कर्तव्य है। जीवन की गति चलती ही रहती है।