साथी**, हाथ बढ़ाना कविता का सारांश –**
एक दूसरे को मदद करने से काम आसान हो जाएगा। बोझ हलका हो जाएगा। इसलिए हमें हमेशा एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। हमारे इरादे इतने मजबूत और सच्चे है कि हमने जब भी अपनी मंजिल को पाना चाहा तब बडी से बड़ी कठिनाईयों का सामना हमने किया। मुश्कीलें आसान हुई, परबत ने भी शीश झुकाया है। हमारे इरादे फौलादी है. और हमारे दिल भी। अगर हम मन में ठानले तो चट्टानों में राहे बना सकते है। इसलिए साथी तुम हाथ बढाना। मेहनत करना अपनी जिंदगी है। हमारा भविष्य हमारी मेहनत पर निर्भर करना है। हमे मेहनत में डरना नही चाहिए।
कल गैरों के लिए हम जीते थे आज अपने लिए जीना है। हमारा सुख दुख एक है। अपने इरादे नेक है, सच्चे है। अपनी मंजिल भी सच की मंजिल है। इसलिए साथी तुम हाथ बढाना।बूंद बूंद से सागर बनता है, यह बात सच है। फूल से माला की सुंदर पंक्ति जो दूल्हे के सिर पर सजती है। छोटे छोटे कणों से परबत बनता है। ऐसे अगर हम एकदूसरे के साथ जुड़ जाए तो किस्मत बना सकते है। अपना भविष्य हम खुद सवार सकते हैं।