रहीम के दोहे कवि परिचय –
रहीम का जन्म 17 दिसंबर 1556 को लाहौर में हुआ था। उनका पूरा नाम अब्दुरैहीम खानखाना है। उनके पिता का नाम बैरमखान, माता का नाम सुल्ताना बेगम था। रहीम सतसई,बरवै नायिका भेद, श्रृंगार सोरठा आदि इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है। इनके काव्य में नीति, भक्ति, प्रेम, श्रृंगार का सुंदर समावेश हुआ है। तरूवर फल नहीं खात है, सरवर पियहि न पान । कहि रहीम’ परकाजहित, संपत्ति सँचहि सुजान। जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग रहिमन देख बडेन को, लघु न दीजिये डारी ।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि । बडे बडाई न करै, बडै न बोलै बोल। रहिमन हीरा कब कहै, लाख टका मम मोल ।मत दीजिए (तिरस्कार मत कीजिए), क्योंकि जहाँ सुई काम आती है, वहाँ तलवार क्या कर सकती है ? बडे लोग न ज्यादा बोलते हैं, न ही अपनी प्रशंसा करते हैं। रहीम कहते हैं कि हीरा कब कहता है कि उसका मूल्य लाख मुद्राएँ हैं।