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in Class 9 by kratos

निबन्ध-लिखिए : चरित्र-बल

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by kratos
 
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विचार-बिंदुः चरित्र का अर्थ और महत्त्व – चरित्र-बल – उदाहरण – चरित्र-बल का प्रभाव।
‘चरित्र’ का अर्थ है ‘चाल-चलन’ या व्यक्तित्व के गुण। यद्यपि चरित्र बुरा भी हो सकता है और श्रेष्ठ भी, परंतु समाज में प्रायः अच्छे चरित्रवाले व्यक्ति को ही चरित्रवान कहते हैं। अतः ‘चरित्र’ शब्द स्वतंत्र रूप में अच्छे चरित्र के लिए प्रयुक्त होता है। चरित्रवान का अर्थ है – ईमानदार, सच्चा, दयावान, करुणावान, कर्मठ, सात्विक, शुद्ध औक कपटहीन व्यक्ति।

चरित्र-बलः सच्चरित्रता में अपार बल होता है। जिस व्यक्ति में प्रेम, मानवता, दया, करुणा, विनय आदि गुण समा जाते हैं, वह शक्ति का भंडार बन जाता है। उसमें से ज्योति की किरणें फूटने लगती हैं। जैसे सूर्य का तेज समस्त दिशाओं को आलोकित कर देता है, उसी प्रकार चरित्र-बल जीवन के सभी क्षेत्रों को शक्ति, उत्साह और प्रकाश से भर देता है। कारण स्पष्ट है। ईमानदारी, सच्चाई, निष्कपटता, मानवता आदि गुण स्वयं में बहुत शक्तिवान हैं। यदि ये सभी शक्ति के कण किसी एक व्यक्ति के व्यक्तित्व में पुंजीभूत हो जाएँ तो फिर महाशक्ति का विस्फोट हो सकता है।

उदाहरणः महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व को लें। उन्होंने जिस महानता को अर्जित किया, उसके पीछे उनके चारित्रिक गुण ही थे। असत्य का विरोध, अहिंसा, अन्याय का सविनय बहिष्कार, सच्चाई, मानवता आदि गुणों के कारण ही उन्होंने पूरे देश में अपने व्यक्तित्व की छाप अंकित की। इसी चरित्र-बल के कारण ही अंग्रेज़ सरकार उनसे डरती थी। उन्होंने अपने चरित्र-बल से केवल स्वयं को ही नहीं, अपितु पूरे भारत को आंदोलित कर दिया।

चरित्र-बल का प्रभाव अत्यंत तीव्रता से होता है। किसी चरित्रवान व्यक्ति के सामने खड़े होकर हमारी कमजोरियाँ नष्ट होने लगती हैं। यही कारण है कि चरित्र-संपन्न लोगों के सामने व्यसनी लोग इस तरह झुक जाते हैं जैसे सूरज के निकलने पर अँधेरा हार मान लेता है। इतिहास प्रमाण है कि भगवान बुद्ध के सामने डाकू अंगुलिमाल ने घुटने टेक दिए थे, क्रांतिकारी जयप्रकाश नारायण के सामने असंख्य डाकुओं ने हथियार डाल दिए थे। इन सबसे यही प्रमाणित होता है कि चरित्र-बल में अपार शक्ति है।

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