इन पंक्तियों को ‘बंदर की बाँट’ कविता से चुना है। चालाक बंदर ने दो बिल्लियों को रोटी के लिए लड़ते देखा तो वह तराजू लेकर वहाँ आ पहुँचा। बंदर पूरी रोटी को स्वयं ही खाना चाहता था। इसलिए बिल्लियों से बोला झगड़ा करने से कोई लाभ नहीं है। दोनों का बाँटकर खाना ही सही है।