इस पद्य के कवि चद्रंमाल सिंह यादव है। हम को आच्छे से पढ़ना चाहिए। जब भोडे दिन की बात है तो जमकर खूब पढ़ना चाहिए। हम्तहान मे दृढ़ता से लिखना चाहिए। हमे इम्तहान मे पास होने के लिए पढ़ना चाहिए।
फिर गरमी की छुट्टी होगी मौज मस्ती के दिन है तब पिक्चर देखेंगे, मिकानिक भी करेंगे क्यो – की वह मस्ती के दिन है। मेहनत से हमें क्यों डरना चाहिए।
फिर हम पामा मम्मी से ढेर सारा ईनाम लेंगे। जो मेहनत करते है भगवन उनकी मदद करते है। हमे जीवन पथ पर बढ़ने के लिए हमें खूब पढ़ना चाहिए।