इस पाठ में हम एक पेड की आत्मकथा के बारे में जनेंगे पेड के तीन हिस्से है। पहला पत्ते दूसरी टहनियाँ तीसरी जडे। वह जडो से मानी – चूस लेते है। पत्तों के जरिए वह हवा मे साँस लेती हूँ। पेडो की तरह के है जैसे – बरगद, पीमल, आम, इमली आनूस कटहल देवदार आदि।
मनुष्य पेड को तोडता है काटता। परंतु मनुष्य भलाई के लिए पेड सबबर्दाश करता है। वह पेड से आपना घर बनाता है। पेडों की लकडी जलाने के काम भी आई है पेड की छाया से पंती की यकवट द्वारा होती है। पेड बच्चो के काम भी आता है और बडो के भी काम आती है।