एक छोटे बच्चे ने सीमा में सैनिकों की साहस गाथा सुनी थी। उस में भी बँदूक लेकटर फौज में भर्ती होने और रास्ट्रपति से पुरस्कार पाने की इच्छा हुई। प्रस्तुत कविता में इसका सुन्दर वर्णन है। यह कविता सचमुच बच्चों के लिए प्रेरणदायक है।
एक बच्चा हर रोज़ सीमा की खबरे यानी सैनिक सीमा में किस तरह बहादुरी दिखा रहे हैं। इस के नार में सुनता था। और वह मन ही मन दुःखी होता था क्यों कि -“अगर मैं छोटा बच्चा न होत, तो मैं भी हाथ में बन्दूक लेकर हाथ में, मै भी खुद सीमा पर लडने जाता, शत्रुओं को मारकर मैं भी नाम कमाना। वह सोचता है कि, झटपट मैं बडा होकर फौंज़ में भर्ती हो जाऊँ, शत्रुओं से लड्. तब मुझे भी रास्ट्रपति की ओर से बड़ा सा पुरस्कार मिलेगा। इसे देखकर मेरी माँ कितनी खुश हो जाती, जब की मैं भी नाम कमाता”