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in General by kratos

सिकंदर और पुरूरवाएकांकी का सारांश लिखिए ।

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by kratos
 
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“सिकंदर और पुरुराज” एक ऐतिहासिक एकांकी है, जिसमें पुरुराज की वीरता और बंदी के साथ एक वीर का दूसरे वीर के समान व्यावहार करते के लिए सिकंदर से कहने का उसका साहस चित्रित किया गया है। .. संदर्भ :सिकंदर भारत देश पर आक्रमण करने के लिए आता है। अम्भि राज के षडयंत्र से पुरुराज को सिकंदर बन्धि बनाता है। किन्तु पुरुराज अपनी वीरता का प्रमाण देता है।

सिकंदर के शिबिर पर अम्भि के साथ सेनापति पुरुराज को बान्धिबनाकर ले आने पर पुरुराज, सिकंदर को अभिनंदन करता है। और राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रद्रोह के बारे में बताता है। वह अपने को सिंह मानता है। भारतीयों की राष्ट्रप्रेम और एकता का विवरण देता है। सिकंदर आपसी फूट की बारे में पूछते पर पुरुराज कहता है कि -“यह आपस की विषय है, लेकिन बाहरी शक्ति का हस्तक्षेप असहनीय है।

अलग-अलग धर्म, अलग अलग वेश्भूषण होने पर हम सव भारतीय है। जो भूमि है उसको भारत कहते हैं और यहाँ रहनेवाले भारतीय संतान है।

और यह भी कहता है कि भारत को जीतना कठिन ही नहीं असंभव भी है कहथ है। गीता का संदेश भी सुनाता है।

सिकंदर खुश होकर पूछता है कि -“आपं के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाए?” तब पुरुराज कहता है कि – “एक वीर, दूसरे वीर के साथ जो व्यवहार करता है।”

सिकंदर हर्षित होकर पुरुराज की मुक्त करता है। और एक हाथ से पुरु और एक हाथ से आम्भि के हाथ पकडकर कहता है कि – “वीर पुरुराज ! मित्र अम्भि आज से हम सामान मित्र हैं सभी खुश होकर प्रस्थान करते हैं।

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