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in Class 11 by kratos

व्यक्ति के जीवन में साहस का क्या महत्व है स्मृति पाठ के अनुसार उत्तर दीजिये

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by kratos
 
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जीवन की महत्वपूर्ण विभूतियों में एक साहस भी है। इसे शरीर बल, मनोबल, धनबल की तुलना में भी प्रगतिशीलता एवं सफलता के लिए अधिक आवश्यक माना गया है। डरपोक प्रकृति के, कायर, भयभीत, आशंकाग्रस्त व्यक्ति अवसर रहने पर भी असमंजस की स्थिति में पड़े रहते हैं और लाभ हानि की जोड़-बाकी करते कराते ऐसे ही दिन गुजारते रहते हैं।

सामान्यतः सत्प्रयोजनों को अपनाने संकल्प को बल देने वाले साहस की अनिवार्यतः आवश्यकता पड़ती है। पानी नीचे की ओर बहता है। उसे कुएँ से ऊपर खींचना हो तो अतिरिक्त बल लगाना पड़ता है। इस अतिरिक्त बल को सत्साहस ही कहना चाहिए जिसके बल पर कठिनाइयों, अवरोधों तक से जूझ सकना सम्भव हो पाता है। प्रगति के लिए पुराने ढर्रे को तोड़ना और नये को अपनाना पड़ता है।

कितने सामान्यों ने आश्चर्यचकित करने वाले-जोखिम भरे काम इसी के सहारे कर दिखाये। समुद्र लाँघने में इसी का अवलम्बन देकर हनुमान ने छलाँग लगाई और एक अनोखा कीर्तिमान स्थापित किया। पार होने न होने के असमंजस में उधेड़बुन करने की स्थिति जामवन्त के प्रोत्साहन से दूर हुई तो फिर असम्भव समझी जाने वाली बात सम्भव हो गई।

समृद्धि संबंधी सफलताएँ तो चतुर परिश्रमी और साधन सम्पन्न लोगों को भी मिलती रहती हैं पर वह प्रगति जो व्यक्तित्व को सुसंस्कृत और परिणाम से संपर्क क्षेत्र को समुन्नत बना सके, मात्र उन्हीं को उपलब्ध होती हैं जो सिद्धान्तों और आदर्शों के प्रति गम्भीरतापूर्वक निष्ठावान रहते हैं। आत्म विश्वास शब्द का उपयोग तो कई बार कई प्रसंगों में होता रहता है पर वस्तुतः उसे आत्मिक मन्तव्यों के प्रति निष्ठावान, होने का परिचय देने के लिए ही प्रयुक्त किया जाना चाहिए। टिकाऊ आत्मविश्वास उपलब्ध भी उन्हीं को होता है जो उत्कृष्टता को अपनाते और उस पर सुदृढ़ रहने के लिए अवरोधों की परवाह न करने का निश्चय किये होते हैं।

साहसी कठिन काम करने वालों को ही कहते हैं। ऐसे तो क्रूर कर्म करने वाले आतंकवादी भी दुस्साहसी कहे जा सकते हैं। पर सच्ची साहसिकता उस रीति-नीति को अपनाने में है जिसे सामान्य जन घाटा पड़ने या सहयोग न मिलने के भय से अपनाने के लिए सहमत ही नहीं होते।

आत्मविश्वास वह विभूति है जिसे उगा लेने वालों के लिए व्यक्तित्व को महान बनाने और उच्चस्तरीय सफलता पाने में फिर कोई बड़ी कठिनाई शेष नहीं रह जाती। साहस एवं आत्मविश्वास एक-दूसरे के पर्याय ही तो हैं।

साहस वह अस्त्र है जिसके सहारे हर प्रतिकूलता से इस या उस प्रकार निपटना सम्भव हो सकता है।

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