लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?
लेखक 'बालकृष्ण' के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है क्योंकि वह उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है। बनावटी प्रसाधन भी वह सुंदरता नहीं दे पाते। धूल से उनकी शारीरिक कांति जगमगा उठती है।