कीचड़ सूखकर टुकड़ो में बंट जाता है, उसमे दरारें पर जाती हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं तब वे सुखाये हुए खोपरे जैसे दिखते हैं। नदी के किनारे कीचड़ सूखकर जब ठोस हो जाता है तब उसपर गाय, बैल, भैंस, पाड़े के निशाँ अंकित हो जाते हैं जिसकी शोभा अलग प्रकार की होती है।