लेखक के अनुसार धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
लेखक के अनुसार धर्म का विषय व्यक्ति के मन के ऊपर हो। जिसका मन जिस प्रकार चाहे उसी प्रकार का धर्म माने। यह आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचा उठाने का साधन है। यह किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने या कुचलने का साधन ना बने।