पुजारी से प्रसाद फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन स्थिति।
भूल गया उसका लेना झट
परम लाभ-सा पाकर मैं।
सोचा- बेटी को माँ के
ये पुण्य-पुष्प दूँ जाकर मैं।